अभिनेता खलनायक सदाशिव अमरापुरकर


                     सदाशिव अमरापुरकर एक बहुमुखी और प्रतिभाशाली अभिनेता थे, जिन्होंने हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती, और बंगाली जैसी कई भाषाओं में फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने अपने अभिनय से लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई।

     
                 अमरापुरकर  ने अपने अभिनय करियर में कई यादगार किरदार निभाए। उन्होंने "अर्धसत्य" (1983), "सड़क" (1991), "दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" (1995), "दिल चाहता है" (1999), "गंगाजल" (2003), "गोलमाल" (2006), "सिंह इज किंग" (2008), और "दबंग" (2010) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।                                                                      

                       किन्नर के बेहतरीन किरदार में सदाशिव अमरापुरकर

                   1991 में फिल्म "सड़क" में सदाशिव अमरापुरकर ने अपने फ़िल्मी जीवन में एक किन्नर महारानी का जबरदस्त किरदार निभाया था। अमरापुरकर के इस किरदार ने इतिहास रच दिया है। इस किरदार के कारण उन्हें बॉलीवुड में "बॉलीवुड की महारानी" के नाम से जाना जाने लगा था।

जन्म एवं शिक्षा : -

             जानमाने खलनायक सदाशिव अमरापुरकर का जन्म 11 मई गुरूवार 1950 को  महाराष्ट्र के अहमदनगर में  एक महाराष्ट्रीयन ब्राम्हण परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम गणेश कुमार नलावडे था। परन्तु उनके मित्र एवं पारिवारिक सदस्य उन्हें ' तात्या ' के नाम से पुकारते थे।  उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा एईएस नवीन मराठी शाळा, अहमदनगर में की। इसके पश्चात बी. ए. की पढ़ाई अहमदनगर के ही कॉलेज से की थी। उन्होंने सावित्रीबाई फुले, पुणे विश्वविद्यालय से इतिहास तथा समाजशास्त्र में एम. ए. की उपाधियाँ प्राप्त की थी।

विवाह : -                                               

सदाशिव अमरापुरकर एवं उनकी पत्नी सुनंदा अमरापुरकर
                                                      
उनकी तीन पुत्रियाँ केतकी अमरपुरकर जतेगनोकर, रीमा अमरपुरकर
                                     और डॉ. सयाली जहागीरदार। 
 

                सदाशिव अमरापुरकर  ने 12 जून 1973 को अपनी हाई स्कूल की  प्रेमिका सुनंदा करमाकर से विवाह किया था। उनकी तीन बेटियां केतकी अमरपुरकर जतेगनोकर, रीमा अमरपुरकर (एक फिल्म निर्देशक है ) और डॉ. सयाली जहागीरदार हैं।

 मराठी फिल्मों से शुरुवात : - 

                                   सदाशिव अमरापुरकर ने अपने अभिनय करियर की शुरुवात महज 21 वर्ष की आयु में मराठी थिएटर से अभिनेता के रूप में की थी। उन्होंने फिल्मों की ओर मुड़ने से पहले करीब - करीब पचास से अधिक नाटकों में अभिनय के साथ निर्देशन भी किया था। 

                                      अमरापुरकर ने जयू पटवर्धन और नचिकेत पटवर्धन द्वारा निर्देशित मराठी ऐतिहासिक फिल्म में '' बाल गंगाधर तिलक '' की भूमिका के साथ फिल्मों का सफर शुरू किया था।                                                        

फिल्म " अर्धसत्य " का पोस्टर
                                                                                    

" सब - इंस्पेक्टर अनंत वेलेनकर " के किरदार में ओमपूरी के साथ

        " रामाशेट्टी " के किरदार में सदाशिव अमरापुरकर 

                                                     

     हिंदी फिल्मों की ओर : -                

                                    1981 - 82 में जानेमाने निर्देशक गोविन्द निहलानी अपनी आगामी फिल्म '' अर्धसत्य '' के लिए एक बेहतरीन नेगेटिव किरदार की भूमिका के लिए अभिनेता की तलाश में थे। 

                                    इसी दौरान मराठी नाटक " हैंड्स -अप " में अभिनेता अविनाश मसूरेकर और अभिनेत्री भक्ति बर्वे के साथ अमरापुरकर की भूमिका देख गोविन्द निहलानी प्रभावित हुए और उन्होंने तत्काल अपनी फिल्म "अर्ध सत्य " के लिए रामा शेट्टी  किरदार के लिए साइन कर लिया। 

                                      बस ! इसी फिल्म के जरिये सदाशिव अमरापुरकर हिंदी सिनेमा के खलनायक कलाकार बन गए। इस फिल्म के पश्चात उन्होंने निर्माता कांता रामसे की फिल्म " पुराना मंदिर ", निर्माता बी. के. आदर्श की फिल्म "नासूर ", निर्माता फ़िरोज़ नाडियाडवाला की फिल्म " मुद्दत ", निर्मिता रमेश बेहल की फिल्म "जवानी " और निर्माता विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म "खामोश " में अपने अभिनय तथा अनोखी  डायलॉग डिलीवरी से अमरापुरकर ने  दर्शकों का मन मोह लिया।  

                            1986 में निर्देशक के. भाग्यराजा की फिल्म "आखरी रास्ता " में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ मुख्य खलनायक की भूमिका निभाई। इसके अगले वर्ष ही उन्होंने निर्देशक अनिल शर्मा की  ब्लॉकबस्टर  फिल्म " हुकूमत " में धर्मेंद्र के साथ अभिनय कर अपने अभिनय का लोहा मनवाया।  

सदाशिव अमरापुरकर द्वारा मराठी में  अभिनीत और निर्देशित नाटक : -

अभिनेता के रूप में : -

  1]      भटाला दिली ओसरी,  2]  काका किशाचा,
  3]      ब्रह्मचा भोपला , 4]  सूर्याची पिल्ले,
  5]      हँड्स अप ,6]  ती फुलराणी , 7] करैला गेला एक।

अभिनेता, दिग्दर्शक के रूप में : -

  1]         छू मंतर , 2]  विठ्ठला(दिग्दर्शक), 3] मी कुमार (दिग्दर्शक),

  4]         कही स्वप्न विकायची आहे (अभिनेता, दिग्दर्शक),

  5]         पै, पै अन पै (एकांकिका, दिग्दर्शक, अभिनेता),

  6]         यात्रिक (दिग्दर्शक, अभिनेता), 7] छिन्ना (दिग्दर्शक, अभिनेता)

  8]          बंडू, बेबी अनी बुरखा (एकांकिका, दिग्दर्शक, अभिनेता)

  9]          जावई माझा भला (एकांकिका, दिग्दर्शक, अभिनेता)
 10]         कन्यादान (अभिनेता, दिग्दर्शक), 11] लग्नाची बेदी (अभिनेता)

            सदाशिव अमरापुरकर की एक खासियत यह थी कि उन्होंने उस दौर के दिग्गज कलाकरों को भी निर्देशित किया है जिनमे शांता जोग , स्मिता पाटील , श्रीराम लागू , भक्ती बर्वे , दिलीप प्रभावळकर , नीना कुलकर्णी , और  सुहास जोशी जैसे कलाकार थे।
           इसके
आलावा सदाशिव अमरापुरकर ने हिंदी सिनेमा के अतिरिक्त बंगाली, ओरिया, हरियाणवी, तेलुगु तथा तमिल भाषा में लगभग 200 - 300 से अधिक फिल्मों में काम किया है। 

          सदाशिव अमरापुरकर एक अभिनेता ही नहीं थे, उनका जीवन विविधता से भरा पड़ा था। वे एक परोपकारी व्यक्ति के साथ साथ सामजिक कार्यकर्ता भी थे। इस बात का पता इसीसे चलता है कि वे सामजिक कृतज्ञता निधि, स्नेहालय, अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, लोकशाही प्रबोधन व्यासपीठ, अहमदनगर ऐसी अनेक सामाजिक संस्थाओं में सक्रीय भूमिका निभाते रहे।

 उनकी कुछ चुनिंदा फ़िल्में : -    

               1983 में फिल्म "जवानी" , 1984 में फिल्म "पुराण मंदिर" , "आघात" , 1985 में फिल्म "तेरी मेहरबानियाँ," आर पार "और" खामोश "1986 में फिल्म" आखरी रास्ता "," मोहरे "और" हुकूमत "1987 में फिल्म" खतरों के खिलाडी ", 1988 में फिल्म" पाप को जलाकर राख कर दूंगा ", 1989 में फिल्म" आखरी बाजी "," एलान-ए-जंग ", ' देश के दुश्मन" , "मेरी ललकार" और "दुश्मन" 1990 में फिल्म "दूध का कर्ज" , "अग्निकाल" , "बेगुनाह" और "इज्जत" , 1991 में फिल्म "हफ्ता बंद" , "स्वर्ग जैसा घर" , "सड़क" और "बसंती टाँगेवाली",                   

             1992 में फिल्म "जीना मरना तेरे संग" , "आँखे" , "प्यार का सौदागर" और "मेहेरबान" 1993 में फिल्म "कोहरा" , "खून का सिन्दूर" और "इंसानियत" 1994 में फिल्म "जनता की अदालत" , "आग" , "दुनिया झुकती है" और "बेवफा सनम" , 1995 में फिल्म कुली नंबर-1 "" याराना "1996 में फिल्म" छोटे सरकार "," दो आँखे बारह हाथ " ऐसी ही अनगिनत फिल्मों में सदाशिव अमरापुरकर ने अभिनय किया है।

1992 में फिल्म "जीना मरना तेरे संग" , "आँखे" , "प्यार का सौदागर" और "मेहेरबान" 1993 में फिल्म "कोहरा" , "खून का सिन्दूर" और "इंसानियत" 1994 में फिल्म "जनता की अदालत" , "आग" , "दुनिया झुकती है" और "बेवफा सनम" , 1995 में फिल्म कुली नंबर-1 "" याराना "1996 में फिल्म" छोटे सरकार "," दो आँखे बारह हाथ " ऐसी ही अनगिनत फिल्मों में सदाशिव अमरापुरकर ने अभिनय किया है।

1992 में फिल्म "जीना मरना तेरे संग" , "आँखे" , "प्यार का सौदागर" और "मेहेरबान" 1993 में फिल्म "कोहरा" , "खून का सिन्दूर" और "इंसानियत" 1994 में फिल्म "जनता की अदालत" , "आग" , "दुनिया झुकती है" और "बेवफा सनम" , 1995 में फिल्म कुली नंबर-1 "" याराना "1996 में फिल्म" छोटे सरकार "," दो आँखे बारह हाथ " ऐसी ही अनगिनत फिल्मों में सदाशिव अमरापुरकर ने अभिनय किया है।

फिल्मफेयर पुरस्कार : -  

              1984 में फिल्म " अर्धसत्य " के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मिला।  

              1991 में फिल्म " सड़क " के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार मिला।

निधन : - 

              अक्तूबर 2014 में सदाशिव अमरापुरकर के फेफड़ों में सूजन हो गई थी, जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था। इसी हॉस्पिटल में 3 नवम्बर 2014 को आयु के 64 वर्ष में उनका निधन हो गया। 

             अपने पिता की समाज सुधार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए उनकी पुत्री ने एक अच्छी मिसाल कायम करते हुए अपने पिता को मुखाग्नि दी थी।